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फारेस्ट में चल रहा जेसीबी,ड्राइवर ने कहा वनरक्षक के कहने पर कर रहा कार्य,वन विभाग के दावों की पोल खोलते दिख रहा तस्वीर

  • जय जोहार इंडिया टीवी :- धरमजयगढ़

 

धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र में अजब-गजब कारनामें देखने और सुनने को मिलते है। यहां के विभाग में सबसे ज्यादा अगर किसी मामले पर खबर चलती हैं तो वह पेड़ों की कटाई और ज़मीन कब्ज़ा करने का मामला है। अगर इसके बाद किसी मामले की बात की जाए तो वह हथियों के मौत का मामला है। इतने सब मामलों में खबरें प्रकाशन के बाद भी आज तक वनमण्डलाधिकारी धरमजयगढ़ अपने कर्मचारियों पर कड़ाई नहीं कर सके। वही वनमण्डलाधिकारी का सुस्त रवैया के कारण वन क्षेत्र में अब नए-नए मामले सामने आ रहे हैं जिसकी जानकारी देने के लिए अगर इन्हे कॉल किया जाए तब ना तो डीएफओ कॉल रिसीव करते हैं ना ही एसडीओ। इन्ही सभी वहजो के कारण ऐसा मामला दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसा ही एक मामला छाल रेंज के सिथरा बीट का है। यहाँ सिथरा गांव के पास जंगल में दिन दहाड़े जेसीबी चलाकर ज़मीन की सफाई की जा रही है। ज़ब इसकी जानकारी मिलने के बाद हमारे द्वारा मौक़े पर जाकर देखा गया तब उक्त स्थल पर एक जेसीबी मशीन नंबर 2885771 ज़मीन की सफाई करता दिखाई पड़ा।

जिस वक्त जेसीबी जंगल की सफाई कर रहा था उस वक़्त वन विभाग के कोई अधिकारी कर्मचारी दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़े। क्या वनमण्डलधिकारी को अपने क्षेत्र में इस तरह के अवैध कार्यों से कोई दिक्कत नहीं या अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र में दौरा नहीं करते है। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है की क्षेत्र में रेंजर, डीप्टी रेंजर और वन रक्षक की तैनाती हो वहा दिन में ही जेसीबी जंगल में वन विभाग की भूमि पर चलाया जा रहा हो और अधिकारीयों को इसकी जानकारी नहीं हो। या फिर ये सभी अधिकारी कर्मचारी बिना अपनी कर्त्तव्य का निर्वाह किए सिर्फ शासन की वेतन का भोग कर रहे। वही ज़ब जेसीबी के ड्राइवर से आन कैमरा जंगल में जेसीबी चलाने के कारण पुछा गया तब उसने साफ साफ बताया की सिथरा के वनरक्षक द्वारा उसे ऐसा करने को कहा गया है और यहाँ वन विभाग के सीपीटी गड्ढा की खुदाई की जा रही है। अगर ड्राइवर का दावा सच भी होता है तब भी यह सोचने वाली बात है कि क्या जिस सीपीटी गड्ढे की खुदाई मजदूरों से करवानी थी वहा किस नियम से जेसीबी से करवाया जा रहा है। अगर जेसीबी से गड्ढे करवाए जायेंगे तब जेसीबी का भुगतान किस राशि से किया जायेगा।

क्या तब मजदूरों का मास्टररोल भरकर उनकी राशि से जेसीबी के खर्चे दिए जायेंगे या विभागीय अधिकारी कर्मचारी अपनी जेबो से पैसे का भुगतान करेंगे। अब देखना यह है की इस मामलें पर सारे सबूत सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही होती है क्युकी आज तक जितने भी मामले पर छोटी-मोटी कार्यवाही देखने को मिली है कोई भी कार्यवाही संतोषजनक नहीं है।

 

*क्या कहते हैं वनरक्षक*

ज़ब इस मामलें में सिथरा के वन रक्षक से बात की गई तब उन्होंने बताया की सीपीटी का ही कार्य चल रहा आज कल लेबर नहीं मिलता हैं इसी लिए ऐसा करना पड़ रहा है

 

*क्या कहते हैं डिप्टी रेंजर*

ज़ब इस मामलें में डिप्टी रेंजर को जानकारी दी गई तब उनका भी जवाब वन रक्षक की तरह ही था और कार्यवाही पर कोई रूचि नहीं दिखाई

 

*क्या कहते हैं वन रक्षक*

ज़ब परिक्षेत्र के रेंजर चंद्रा सिदार को इस मामलें में जानकारी दी गई तब उन्होंने भी कार्यवाही को लेकर किसी प्रकार की रूचि जाहिर नहीं की

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