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जनपद पंचायत धरमजयगढ़ में लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात, 11 सदस्यों ने जताया विरोध

छत्तीसगढ़, रायगढ़, धरमजयगढ़

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जनपद पंचायत धरमजयगढ़ में लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात, 11 सदस्यों ने जताया विरोध

 

जय जोहार इंडिया TV न्यूज रायगढ़ धरमजयगढ़। जनपद पंचायत धरमजयगढ़ की सामान्य सभा बीते दिनांक 31 मई 2025 को हुई बैठक में पारित प्रस्ताव को लेकर पंचायत राजनीति में असंतोष और विवाद गहराता नजर आ रहा है। और इसी वजह से जनपद क्षेत्र क्रमांक 01, 02, 03, 05, 06, 07, 08, 10, 18, 20 और 21 के निर्वाचित सदस्यों ने एक स्वर में इस प्रस्ताव को अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए विरोध दर्ज किया है।

और वहीं प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस बैठक में केंद्र सरकार द्वारा राज्य को आवंटित 15वें वित्त आयोग की राशि को जनपद पंचायतों में वितरित करने के मामले में कुछ क्षेत्रों को जानबूझकर वंचित किया गया। और वहीं मामले में विरोधकर्ता जनपद पंचायत सदस्यों के बताए अनुसार कि जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष द्वारा बहुमत के नाम पर, बिना सर्वसम्मति के प्रस्ताव पारित कर, जनपद के अनेक सदस्यों को उनके विकास अधिकारों से वंचित कर दिया गया।

यह निर्णय न केवल विधि के विपरीत है, बल्कि पंचायत राज व्यवस्था की आत्मा के खिलाफ भी है। और वहीं जनप्रतिनिधियों ने यह स्पष्ट किया है, कि जनपद सदस्य सीधे जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं, और क्षेत्र की समस्याओं के समाधान तथा विकास की गति को बनाए रखने के लिए उन्हें योजनाओं में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। जो कि पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 50 व 51 जनपद सदस्यों को विकास योजनाओं में निर्णायक भूमिका प्रदान करती है। इसके बावजूद, मुख्य कार्यपालन अधिकारी की उपस्थिति में नियमों की अनदेखी कर यह प्रस्ताव पारित किया गया, जो प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। और वहीं इस निर्णय से प्रभावित जनपद क्षेत्रों के कई ग्राम पंचायतों में पेयजल, शिक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत विषयों पर काम रुके हुए हैं या प्रारंभ ही नहीं हो पाए हैं। इससे ग्रामीण जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। और विकास की संभावनाएं बाधित हो रही हैं। आगे सदस्यों ने नेता प्रतिपक्ष माननीय चरणदास महंत को पत्र लिखकर इस पूरे प्रकरण में हस्तक्षेप की मांग की है।

उन्होंने निवेदन किया है, कि इस अवैध प्रस्ताव को निरस्त कर सभी जनपद क्षेत्रों को समान अधिकार और विकास की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। और साथ ही चेतावनी दी गई है, कि यदि शीघ्र ही इस अन्याय का निराकरण नहीं किया गया, तो वे क्षेत्र की जनता के साथ आंदोलन छेड़ने को बाध्य होंगे। ऐसे में किसी भी स्थिति के लिए शासन और प्रशासन पूर्णतः उत्तरदायी होगा।

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