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खबर डेस्क
रायगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वालों की फेहरिस्त ज्यादा लम्बी नहीं है लेकिन जो नाम भाजपा में चल रहे हैं, उसमें कश्मकश देखने को मिल रहा है।

रायगढ़ सीट से भाजपा की टिकट के दावेदारों में ओपी चौधरी और कांग्रेस के सिटिंग एमएलए प्रकाश नायक के बीच यदि चुनाव होती है तो कैसा समीकरण बनेगा ?
इस पर जब हमने बारीकी से पड़ताल की तो जो बातें सामने आई वो यह है कि रायगढ़ सीट पर कांग्रेस के मतदाता ज्यादा हैं। अब तक 13 विधानसभा चुनाव हुए जिसमे 11 बार कांग्रेस के प्रत्याशी जीते और आज भी कांग्रेस के प्रकाश नायक विधायक हैं।
अब बात करें चुनावी चर्चा की तो अघरिया समाज से दो प्रत्याशी मैदान में उतर सकते हैं। कांग्रेस से प्रकाश नायक और भाजपा से ओपी चौधरी लेकिन यहां ओपी चौधरी को टिकट मिलती है तो निर्णायक भूमिका निभाने वाला कोलता समाज का 50 हजार वोट बाहरी प्रत्याशी को नहीं देगा।ओपी खरसिया से आते हैं।वही रायगढ़ में बीजेपी के पास और भी चेहरे हैं जिनपर दांव खेला जाय तो स्थानीय प्रत्याशी बनाने का लाभ भाजपा को मिलेगा। इस रणनीति में प्रकाश नायक कमजोर होती छवि भाजपा के स्थानीय प्रत्याशी की जीत आसान कर सकती है। भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि ओपी को टिकट देने से कांग्रेस प्रकाश का टिकट फाइनल कर सकती है। जिसके बाद बाहरी और स्थानीय प्रत्याशी के बीच का चुनावी समर बहुत रोचक नहीं होगा।
ओपी का कलेक्टरी पीरियड भी बन सकता है रोड़ा
खरसिया के लोग कहते हैं ओपी जब रायपुर कलेक्टर रहे और फिर कलेक्टरी छोड़ रमन सिंह के कार्यकाल में भाजपा में आये दोनों समय में अपने गृहक्षेत्र के लिए कोई खास काम नहीं किया जिसे गिनाया जा सके। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार के पिछले चुनाव में कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा फिर मतदाताओं ने नकार दिया। ऐसे में यदि रायगढ़ जीतने के लिए ओपी को भाजपा मैदान में उतारती है तो खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। पर जो भी हो वे तो जनता की मन में है, किसी को भी जीता सकता है,या नकार सकता है।। यही लोकतंत्र है।

