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भारतमाला रोड परियोजना में आया नया मोड़, 10 मई को हुई सुनवाई में माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर ने केंद्र सरकार से 6 हफ्ते के भीतर मांगा जवाब
जय जोहार इंडिया TV न्यूज नेटवर्क

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भारतमाला रोड परियोजना (पत्थलगांव – कुनकुरी – झारखंड बॉर्डर) में आया नया मोड़, 10 मई को हुई सुनवाई में माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर ने केंद्र सरकार से 6 हफ्ते के भीतर मांगा जवाब
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दिनों दिन भारत माला परियोजना के कई नया मोड़ सामने आती है, जिससे ग्रामीणों से कई जुड़े मामले आते हैं, जो की अब धरमजयगढ़ विकासखंड से लगे जशपुर जिले के कई गांव से सुनने में आ रहा है, वही हाई कोर्ट अधिवक्ता आनंद कुमार कुजूर जी ने हमको बताया की
अधिवक्ता आनंद कुमार कुजूर ने याचिकाकर्ताओं की ओर से माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर में याचिका क्रमांक WPC/2465/ 2024 इमरसन और अन्य 60 बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य दायर की है।
तहसील: कांसाबेल, ग्राम: सूजीबाहर, नारियरडांड, राजौटी, बगिया, डंडाजोर तहसील: पत्थलगांव, ग्राम: पंगसुवा, मुड़ापारा, सूरजगढ़, तीरसोंथ, बेलडेगी, चंद्रपुर के ग्राम वासियों ने माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के समक्ष निम्न मांग रखी है:-
1. भारतमाला रोड परियोजना में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धाराएं: 3A, 3E, 3G, 3H, 3G(5) एवं भूमि अर्जन पुनरव्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धाराएं: 11, 12, 16, 18, 19, 21, 26, 27, 28, 29, 31, 41 एवं 45 में निहित प्रावधानों का कड़ाई से पालन नहीं किया गया है अतः उन प्रावधानों का पालन कराया जावे।
2. भूमि अर्जन पुनर व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 26 के तहत कलेक्टर अपने द्वारा घोषित मुआवजा की राशि को पुनरीक्षित करे।
3. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में मुआवजा के राशि में 12% सालाना ब्याज की दर जोड़ना सुनिश्चित हो।
4. मुआवजा की राशि अत्यंत कम है इसलिए मध्यस्थ नियुक्त कर प्रकरण का शीघ्र निपटारा हो।
5. जिन भू स्वामियों की भूमि अर्जित की जा चुकी है किंतु सूची में नाम नहीं है उनका पुनः सर्वे, सीमांकन किया जावे। किसी भी हालत में पीड़ित भू स्वामियों को बिना संतोषप्रद मुआवजा दिए उनकी भूमि से बेदखल ना किया जावे।
6. शासन प्रशासन के अधिकारियों द्वारा पीड़ित भू स्वामियों को ना तो गुमराह किया जावे और ना ही उन्हें डराया धमकाया जावे।
हाई कोर्ट के अधिवक्ता आनंद कुमार कुजूर ने माननीय हाई कोर्ट को अवगत कराया है कि भूमि अर्जन पुनर व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 41 में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष उपबंध का उल्लेख है,
इसके तहत अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भूमि के अर्जन की दशा में संविधान की पांचवी अनुसूची के अधीन की अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य है । भारत माला रोड परियोजना में अब तक ग्राम सभा की सहमति ली गई हो का दस्तावेज नहीं पाया गया है ना ही किसी भू स्वामी को इस आशय का सहमति या किसी प्रकार की सूचना तामील की गई है।
भारतमाला रोड परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम तथा भू अर्जन अधिनियम का पालन किए बगैर गैर कानूनी तरीके से भूमिअधिगृत की जा रही है।।

