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झारखंड के युवा आदिवासी क्रांतिकारी निलांबर, पितांबर के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि कोटि नमन….प्रदेश अध्यक्ष सुभाष परते
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झारखंड के युवा आदिवासी क्रांतिकारी निलांबर, पितांबर के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि कोटि नमन….प्रदेश अध्यक्ष सुभाष परते
जय जोहार इंडिया TV न्यूज नेटवर्क jaijoharindiatv.com धरमजयगढ़ :- छत्तीसगढ़ के सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रदेश अध्यक्ष ने सुभाष परते ने अपने पुरखा वीर क्रांतिकारी योद्धाओं को नमन करते हुए उनके इतिहासिक बाते कहे वीर शहीद आदिवासी युवा नीलांबर एवम् पीतांबर देश की आजादी के लिए पहली क्रांति के दौरान अपनी विरता से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। दोनों भाई के नेतृत्व में काफी संख्या में ग्रामीण अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे।
इन लोगों के आंदोलन ने अंग्रेज सरकार को काफी क्षति पहुंचाई थी। इन लोगों के आंदोलन को दबाने के लिए ग्राहम को बुलाया गया था। ग्राहम के पहुंचने से पूर्व ही विद्रोही वहां से निकल चुके थे। फिर भी तीन विद्रोही पकड़े गए। जिनमें दाे विद्रोहियों काे तत्काल फांसी दी गई तथा एक विद्रोही काे रास्ता बताने के लिए साथ ले लिया गया। डाल्टन ने विद्रोही बंदी के सहयाेग से 13 फरवरी 1858 काे नीलांबर-पीतांबर के जन्मभूमि में प्रवेश किया। नीलांबर-पीतांबर का दल काेयल नदी पार करते अंग्रेजी सेना काे देख चेमू गांव छाेड़ जंगली टिलहाें के पीछे छिपकर वार करने लगा। इस वार से रामगढ़ सेना का एक दफादार मारा गया। उसके बावजूद नीलांबर-पीतांबर काे उस क्षेत्र से हटना पड़ा। दूसरी तरफ शाहपुर एवं बघमारा घाटी में डटे विद्रोहियों से भी अंग्रेजी सेना का मुकाबला हुआ। यहां भी विद्रोहियों काे भारी क्षति उठानी पड़ी। विद्रोहियों के पास से 1200 मवेशी एवं भारी मात्रा में रसद अंग्रेजी सेना ने जब्त किए परंतु नीलांबर-पीतांबर बच निकलने में कामयाब रहे,
जिससे खिन्न हाेकर डाल्टन ने 12 फरवरी काे चेमो – सनया स्थित नीलांबर-पीतांबर के गढ़ सहित पूरे गांव में लूट-पाट कर सभी घराें काे जला दिया। इनके संपत्ति, मवेशियों तथा जागीराें काे जब्त कर लिया और लोहरदगा के तरफ बढ़ गया। जनवरी 1859 में कप्तान नेशन पलामू पहुंचा और ग्राहम के साथ विद्रोह काे दबाना शुरू किया। तब तक ब्रिगेडियर डाेग्लाज भी पलामू के विद्रोहियों के विरुद्ध मुहिम चला दी।
शाहाबाद से आनेवाले विद्रोहियों काे राेकने का काम कर्नल टर्नर काे साैंपा गया। इस कार्रवाई से पलामू के जागीरदारों ने अंग्रेजों से डर कर नीलांबर-पीतांबर काे सहयाेग देना बंद कर दिया। अंग्रेज खरवार एवं चेरवाें के बीच फूट डालने में भी सफल रहे। परिणाम स्वरूप नीलांबर-पीतांबर काे अपना इलाका छाेड़ना पड़ा। चेराे जाति से अलग हुए खरवार-भाेगताओं पर 08 फरवरी से 23 फरवरी तक लगातार हमले किए गए, जिससे इनकी शक्ति समाप्त हाे गई। जासूसों की सूचना पर अंग्रेजी सेना ने पलामू में आंदालेन के सूत्रधार नीलांबर-पीतांबर काे एक संबंधी के यहां से गिरफ्तार कर बिना मुकदमा चलाए ही #28_मार्च_1859 काे #लेस्लीगंज में फांसी दे दी।
जिस समय नीलांबर-पीतांबर को अंग्रेज सरकार फांसी दी उस समय नीलांबर के एकमात्र बेटा साजन थे। साजन के चार पुत्र हुए। अलियार, रोवन, सोमारु और पूरन। इसमें अलियार व रोवन को एक-एक पुत्र हुआ। जबकि सोमारु व पूरन बेऔलाद थे। अलियार के बेटे का नाम लेदा सिंह व रोवन के पुत्र का नाम भुलू सिंह था। इसमें लेदा सिंह का एक बेटा देवनाथ सिंह हुए। जबकि भुलू सिंह के दो पुत्र भुनेश्वर सिंह व धनेश्वर सिंह हुए। देवनाथ सिंह के तीन पुत्र चरकू सिंह, हरिचरण सिंह व अर्जुन सिंह थे।
भुनेश्वर सिंह के बेटे का नाम अरुण सिंह था। जबकि धनेश्वर सिंह के तीन पुत्र जयभारत सिंह, लोधा सिंह व हरिहर सिंह थे। अभी वर्तमान में चरकू सिंह के पुत्र राजेंद्र सिंह, हरिचरण सिंह का पुत्र बिफन सिंह व कौलेश सिंह हैं।
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