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आदिवासियों के साथ सभी ने भरी हुंकार… ग्रामीणों की निर्णय- बर्रा कोल ब्लॉक को एक चिल्ठी जमीन नहीं देंगे
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आदिवासियों के साथ सभी ने भरी हुंकार… ग्रामीणों की निर्णय- बर्रा कोल ब्लॉक को एक चिल्ठी जमीन नहीं देंगे

छत्तीसगढ़ /रायगढ़/खरसिया जय जोहार इंडिया TV वेब पोर्टल :- आपको बता दे कि छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा आदिवासी समाज निवास करते है, जिन्हें कई बार लालच देकर बेघर कर दिया गया है,
हां ये कटु सत्य है,
आदिवासी समाज खेती किसानी पर निर्भर है, और वही जिन्होंने पैसे की लालच में आ कर कई कंपनी को जमीन दे दिए, और पैसे तो कुछ दिन की मेहमान है आया और उड़ गया, फिर आज कंपनी क्षेत्र वाले किसान लोग रोजगार, एवं खाने के लाले पड़ गए, क्योंकि वहां तो बाहरी लोगो की जमावाड़ा हो गया, वही बाहारी लोग कंपनी में नौकरी कर रहे है, और आज जमीन देने वाला किसान रोजगार के लिए तरस रहा है। खाने के लाले पड़े हैं।
ठीक ऐसे ही एक और कंपनी आ रही है “वेदांता एल्युमिनियम” ने रायगढ़ जिले के खरसिया विकास खण्ड के बरगढ़ खोला में आवंटित बर्रा कोल ब्लॉक से उत्पादन शुरू करने प्रक्रिया प्रारंभ की है। सूत्र से मिली जानकारी अनुसार खनिज विभाग ने एग्रीमेंट साइन करने के लिए जमीन की मुद्रांक और पंजीयन शुल्क की जानकारी मांगी है।
यह कोल ब्लॉक करीब 3144 हे. भूमि पर फैलेगा। कोल मिनिस्ट्री ने रायगढ़ और कोरबा जिले की सीमा में फैले बर्रा कोल ब्लॉक का आवंटन वेदांता एल्युमिनियम को किया है। नीलामी में कंपनी ने सर्वाधिक बोली लगाई। वेदांता कंपनी का कोरबा में प्लांट है इसलिए बर्रा कोल ब्लॉक के लिए बोली लगाई गई।

इस कोल खदान में बगझर, बर्रा, जोबी, करूवाडीह, कुरू, मिनगांव, नगोई, पुछियापाली और कोरबा जिले के रामपुर की जमीनें जाने की संभावना है।
सूत्र बताया जा रहा है कि करीब 3144 हे. भूमि इस कोल ब्लॉक के लिए अधिग्रहित की जाएगी। करीब 3144 हे. क्षेत्रफल में फैलने वाले इस कोल ब्लॉक में वन भूमि करीब 5 वर्ग किमी है। इतने जंगलों का विनाश करके खरसिया शहर ये 16 किमी दूर कोयला खदान शुरू होगी। कोरबा तक कोयला परिवहन आसान होने के कारण यह खदान वेदांता ने ली है।
केप्टिव के साथ कमर्शियल यूज भी किया जाएगा, माइनिंग लीज के लिए अनुबंध विलेख निष्पादन किया जाना है इसलिए मुद्रांक शुल्क और पंजीयन शुल्क की जानकारी मांगी गई है।

बर्रा कोल ब्लॉक आवंटन के बाद ही आदिवासियों ने विरोध प्रारंभ कर दिए न, अन्य लोग भी पूरी समर्थन में शामिल हैं।
बरगढ़ खोला के आदिवासियों ने किसी भी कीमत पर कोल ब्लॉक के लिए जमीनें नहीं देने का निर्णय लिया है। इधर खरसिया समेत दूसरे क्षेत्रों में जमीन दलाल भी सक्रिय हो चुके हैं।
अब प्रदेश में राजनीतिक परिदृश्य भी बदल चुका है, लेकिन खरसिया में वही स्थिति है। अब आदिवासी भी एकजुट हो चुके हैं। पिछले दिनों कुर्रु क्षेत्र के लोगों ने कोयला खनन के लिए लगे कैम्प हटाने के आंदोलन का कर दिया था
वहीं स्थानीय प्रशासन, पुलिस के मान मनौव्वल से 15 दिन में हटाने का लिखित शपथ पत्र दिए जाने पर आंदोलन स्थगित किया गया है।।
अगर शासन प्रशासन आदिवासियों की भावनाओं के साथ कोई भेदभाव करेगी तो बहुत बड़ा आंदोलन हो सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी है कि छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज (रूडी जन्य परंपरा पर आधारित) के कई सामाजिक नेताओ की इस आंदोलन में शामिल हो सकते है, तब बस्तर के आदिवासी आंदोलन जैसे दृष्ट देखने को रायगढ़ जिला में भी मिल सकती है। कई बार इस विषय में ब्लॉक जिला स्तर की भी मीटिंग हुई थी, जिसने रायगढ़ जिले के आदिवासी युवाओं को अपने समाज को मजबूत कर संविधानिक संघर्ष लड़ाईं करने की बात कही गई थी।
अब देखना होगा कि कौन नेताओ आदिवासी समाज के हित में रहेंगे और कौन नेता सिर्फ फोटो खिंचाना और मीडिया बाजी करेंगे।

