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आदिवासी धरोहर की अमिट छटा में, 27-28 फरवरी 2025 को, ग्राम चंद्रशेखरपुर एडु मांड कुरकुट संगम में राठिया-कंवर समाज द्वारा भव्य ठाकुर देव महोत्सव का आयोजन

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आदिवासी धरोहर की अमिट छटा में, 27-28 फरवरी 2025 को, ग्राम चंद्रशेखरपुर एडु मांड कुरकुट संगम में राठिया-कंवर समाज द्वारा भव्य ठाकुर देव महोत्सव का आयोजन

जगत राठिया/अजय राठिया

जय जोहार इंडिया TV न्यूज भारत के सबसे लोकप्रिय न्यूज नेटवर्क आदिवासी संस्कृति की जीवंत परंपराओं और आत्मा की गहराई को समर्पित, ग्राम चंद्रशेखरपुर एडु मांड कुरकुट संगम में राठिया-कंवर समाज ने 27-28 फरवरी 2025 को बड़े हर्षोल्लास के साथ भव्य ठाकुर देव महोत्सव का आयोजन किया। इस अद्वितीय महोत्सव की शुरुआत, ठाकुर देव जी एवं अन्य इष्ट देवी-देवताओं की श्रद्धास्पद पूजा-अर्चना और सेवा पूजा से हुई, जिसमें पारंपरिक बाजा-गाजा की धुनों ने वातावरण को मोहक रूप से भर दिया।
कलश यात्रा – आस्था का स्वरूप
गाँव के बैगा श्री केशव प्रसाद राठिया जी के आवास से निकली भव्य कलश यात्रा, पारंपरिक वेशभूषा में सजे समाज लोगो द्वारा आयोजित की गई। यह यात्रा, आस्था और श्रद्धा के अद्भुत संगम के रूप में, ठाकुर देव देवरास तक कलश को विधिवत स्थापित करने की अनूठी परंपरा को जीवंत करती है।
महोत्सव के मुख्य आकर्षण – आदिवासी रस में रंजित समारोह
➡️ सामाजिक वर वधु का सामूहिक विवाह:
आदिवासी रीति-रिवाजों एवं ढेढ़ा पद्धति के अनुरूप, ठाकुर देव ट्रस्ट के तत्वावधान में 11 जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया गया। प्रथम दिन विवाह के रश्म तेल एवं मड़वा कार्यक्रमों द्वारा इस परंपरा की प्राचीनता और सांस्कृतिक गहराई का अनुभव हुआ, जबकि दूसरे दिन हरदाही, बारात एवं बिदाई के रस भरे समारोह ने विवाह की पूर्णता को निखारा।
➡️ सांस्कृतिक प्रदर्शन:
पारंपरिक ठाकुर देव भजन, सुवा और करमा नृत्य की मधुर प्रस्तुति के साथ, आदिवासी लोकगीतों एवं नृत्यों ने महोत्सव के रंगों में चार चांद लगा दिए। इस सांस्कृतिक मेला में समाज लोगो ने उमंग और गर्व के साथ भाग लेकर अपनी पहचान को सशक्त किया।
➡️ जनप्रतिनिधियों का आदर:
समाज के नव-निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को सम्मानित करते हुए, उनके नेतृत्व में आदिवासी संस्कृति के विकास एवं संरक्षण का संकल्प पुनः दृढ़ किया गया।
➡️ समर्पित विकास समिति एवं युवाओं की भागीदारी:
राठिया कंवर विकास समिति, राठिया कंवर उत्थान समिति, ठाकुर देव ट्रस्ट के सदस्यों और ऊर्जावान युवक-युवतियों (वालिंटियर्स) की सक्रिय सहभागिता ने इस दो दिवसीय महोत्सव को एक अविस्मरणीय उत्सव में परिवर्तित कर दिया।
यह महोत्सव न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में उभरा, बल्कि आदिवासी परंपराओं, रीति-रिवाजों एवं सामाजिक एकता का अद्वितीय प्रतीक बनकर समाज लोगो में आत्मगौरव और सांस्कृतिक जागृति की नई लहर दौड़ा गया।।

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