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रायगढ़ जिले तमनार ब्लॉक के बजरमुड़ा घोटाले की होगी जांच, अवर सचिव ने किया जांच कमिटी का गठन

- बजरमुड़ा घोटाले की होगी जांच , अवर सचिव ने किया जांच कमिटी का गठन
रायगढ़ । बहुत चर्चित मुहावरा है, जब बाड़ ही खेत खा गई तो भला किसान क्या करे ? इस मुहावरे को जीता जागता उदाहरण देखना हो तो रायगढ़ जिले के घरघोड़ा अनुविभाग के तमनार तहसील के ग्राम बजरमुड़ा आइए । हैरत से आपका दिमाग घूम जायेगा । यहां करोड़ों की हेराफेरी की गई और वो भी डंके की चोट पर और यह हेराफेरी करनेवाले हैं कौन ? ये वही सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हैं जिनके कंधों पर संपत्तियों के मूल्यांकन की जिम्मेवारी सौंपी गई थी । दरअसल, घरघोड़ा में गारे पेल्मा सेक्टर 3 कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ सरकार के ही सीएसपीडीसीएल को आबंटित हुआ था । इस कोल ब्लॉक के भू अर्जन और परिसंपत्तियों की गणना , मूल्यांकन और क्षतिपूर्ति के निर्धारण में सारा खेल खेला गया और करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया गया । और इस घोटाले के कर्ता धर्ता स्वयं वे शासकीय अधिकारी और कर्मचारी ही रहे जिन्हें यह सारी जिम्मेदारियां दी गई थीं । यह महाघोटाला सामने आया था रायगढ़ के दुर्गेश शर्मा नाम के सामाजिक कार्यकर्ता के माध्यम से ।
गारे पेल्मा सेक्टर 3 के प्रभावित ग्राम बजरमुड़ा, ढोलनारा और कारवाही ग्राम के भूमि अर्जन और क्षतिपूर्ति निर्धारण में की गई बेइंतिहा गड़बड़ी की शिकायत राजस्व मंडल से भी को गई थी , पर नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला ।
कहां की गई गड़बड़ी
उक्त तीनों गांवों की 149 हेक्टेयर भूमि में से 129 हेक्टेयर भूमि को दो फसली भूमि बताकर ज्यादा क्षतिपूर्ति निर्धारित की गई । जबकि हकीकत यह है कि इस क्षेत्र में ना तो नदी नाले हैं और ना ही सिंचाई के संसाधन । ऐसे में उक्त भूमि के दो फसली होने की कोई गुंजाइश ही नहीं है । दूसरी बात, परिसंपत्तियों की गणना और मूल्यांकन में ऐसी भयानक हेराफेरी की गई है कि दिमाग के कल पुर्जे हिल जायेंगे ।
कैसे किया गया है परिसंपत्तियों का मूल्यांकन
एक जनरल स्टोर केवलिए 1.26 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि दी गई है तो कहीं सीढ़ी रूम बताकर 68 लाख दिए गए हैं । कही जमीन में शेड के नाम पर 1.18 करोड़ डी दिए गए । एक किसान को तो 0.607 हेक्टेयर के लिए 55 लाख रुपए का भुगतान किया है और उसी जमीन पर पेड़ों के लिएं1.06 करोड़ रुपए अदा किए गए हैं। कुछ लोगों को गोदाम के लिए 3.59 करोड़ तो बरामदे के नाम पर 1.16 करोड़ रुपए दे दिए गए । एक अन्य परिवार को पेड़ों के नाम पर 1.93 करोड़ रुपए बांट दिए गए। गोबर गैस के मद में तो 2.09 करोड़ क्षतिपूर्ति दी गई है। एक परिवार को परसंपत्तियों के नाम पर 55 करोड़ रुपए दिए गए हैं जिसमें मार्केट कॉम्प्लेक्स की क्षतिपूर्ति भी शामिल है !
दरअसल यह सारा किस्सा हरि अनंत हरि कथा अनंता जैसा है । बताया जा रहा है कि इस तरह का खेल रचा कर केवल बजरमुड़ा गांव में ही 150 करोड़ की भारी भरकम राशि की अफरा तफरी कर ली गई है । एक मोटे अनुमान के तौर पर बताया जा रहा है कि एक फसली भूमि को दो फसली बताकर करीब 300 करोड़ के वारे न्यारे किए गए हैं और आधी रकम खेल खेलनेवालों ने अपने खीसे में सरका लिए हैं । जानकारों का कहना है कि जिन परिवारों को इतना तगड़ा मुआवजा मिला है उनके खातों की बारीकी से जांच पड़ताल की जाए तो कई रहस्यों का पर्दाफाश हो सकता है ।
कौन करेंगे जांच ?
राजस्व मंडल ने तो शिकायत कर्ता की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया पर जब यह मामला उजागर हो गया तो इसे दबाना मुश्किल हो गया । लिहाजा राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अवर सचिव द्वारा विगत 15 जून को मामले की जांच के लिए एक कमिटी का गठन कर दिया गया है जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रमेश शर्मा अध्यक्ष हैं और अपर कलेक्टर हीना अनिमेष नेताम को सचिव तथा संयुक्त कलेक्टर उमाशंकर अग्रवाल को सदस्य बनाया गया है ।
अब देखना है कि यह उच्च स्तरीय कमिटी अपनी जांच पड़ताल के बाद किन नतीजों पर पहुंचती है ।

