टिकट के लिए नेताओं की रायपुर से लेकर दिल्ली तक दौड़ शुरू , रायगढ़ जिला से किसकी कट सकती है टिकट,
छत्तीसगढ़ रायगढ़

टिकट के लिए नेताओं की रायपुर से लेकर दिल्ली तक दौड़ शुरू , रायगढ़ कट सकती है लैलूंगा विधायक की टिकट,
चुनाव लड़ सकते हैं नंद कुमार सायजो नेता साढ़े 4 साल में नहीं दिखें वो अगर अभी लगातार दिखें तो हैरानी कतई न होगी। चुनावी खेत तैयार है तो बीज बोने तो आना ही होगा। आने से पहले माहौल बनाना और भोकाल जताना एक पैटर्न है। प्रचार-प्रसार सबसे नीचे के कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है। उसके ऊपर वाले इंतज़ाम अली तो अहले कार्यकर्ता मुखिया से लेकर प्रभावशाली लोगों से नेता जी की बैठक कराते चहुंओर दिख जाएंगे। छठी, तेरहवीं, दशगात्र इत्यादि बड़े अवसर हैं और इनका मीडिया में प्रचार तो अद्भुत संयोग है। अति आत्मविश्वासी नेता और उनके शागिर्द अभी से अपनी जीत और उसके होने वाले फायदे की संकल्पना फायदेवाली जगहों पर करने लगे हैं।
खैर, चुनावी दस्तक के साथ ही राजनीतिक गतिविधि तेज होने लगी है। टिकट के दावेदार भी जोर अजमाइश शुरू कर चुके हैं। रायपुर से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगाई जा रही है। हर कोई अपनी टिकट पक्की होने का दावा कर रहा है। सब बड़े नेताओं को साधने में जुट गए हैं। हालात दोनों पार्टियों में बराबर है। दरअसल, दोनों दलों के नेताओं को लग रहा है कि माहौल इस बार उनकी पार्टी के पक्ष में इसलिए उनकी जीत भी तय है।
ऐसा कहा जा रहा है कि अक्टूबर में आचार संहिता की घोषणा हो जाएगी। दिसंबर में चुनाव होना है। जनवरी के प्रथम सप्ताह में नई सरकार शपथ ले लेगी। ये शेड्यूल बन चुका है। इसलिए चुनावी हलचल ने गति पकड़ लिया है। हर कोई खुद को प्रमुख तथा जीतने लायक दावेदार बता रहा है। एक तरह से नेताओं ने खुद का सर्वे भी करा लिया है। इसलिए वह पूरी तरह से अति आत्मविश्वास में है कि उन्हें टिकट मिला तो वहीं जीत पाएंगे, दूसरे को मिला तो वह हार जाएगा। इसलिए चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों ने अभी से आकाओं को साधना शुरू कर दिया है। रायपुर से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगाई जा रही है। इंटरनेट मीडिया में पोस्ट डाले जा रहे हैं।
रायगढ़ जिले में 4 विधानसभा सीट है। अगर कांग्रेस की बात करें तो खरसिया, धरमजयगढ़ को छोड़ दिया जाए तो शेष विधानसभा में टिकट के लिए घमासान होना तय है। खरसिया कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल की सीट है, तो धरमजयगढ़ लालजीत राठिया की सीट है। इन्हीं दोनों जगहों से इन नेताओं का लड़ना तय है। शेष दो विधानसभा रायगढ़ व लैलूंगा में टिकट के लिए घमासान हो सकता है। हालांकि रायगढ़ से प्रकाश नायक को खुलकर चुनौती देने वाला फिलहाल कांग्रेस का कोई नेता नहीं है, पर कहा जा रहा है कि भीतर ही भीतर कई नेता तैयारी में लगे हैं। भाजपा में तो सभी सीटों पर टिकट के लिए जबरदस्त घमासान अभी से दिखाई देने लगा है।

भाजपा व कांग्रेस के नेता टिकट के लिए बायोडाटा लेकर घूमना शुरू कर चुके हैं। आकाओं के चक्कर काट रहे हैं। कोई रोज रायपुर में डेरा डाले हुए तो कोई आए दिन दिल्ली का चक्कर काट रहा है। बताया जा रहा है कि रायगढ़ से टिकट की चाह रखने वाले एक भाजपा नेता ने बीते सप्ताह भर से दिल्ली-रायपुर में डेरा डाले हुए है। वह भाजपा के तमाम बड़े नेताओं को साधने में जुटे हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा इस बार टिकट को लेकर कोई रिस्क नहीं लेने वाली। टिकट वितरण को लेकर फार्मूला सिर्फ अमित शाह का चलने वाला है। वहीं कांग्रेस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल टिकट तय करेेंगे। लेकिन डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के रायगढ़ जिले के सीटों सुझाव को पार्टी नज़रंदाज़ नहीं कर सकती।
कांग्रेसी नेता नंद कुमार साय
कट सकती है लैलूंगा विधायक की टिकट
2 बार सांसद, 3 बार के विधायक और कई बड़े पदों पर रहने वाले दिग्गज आदिवासी नेता नंद कुमार साय अब कांग्रेसी खेमे में हैं। उनका पार्टी में प्रवेश भव्य था, सीएम भूपेश ने उनके लिए कुछ बड़ी योजना तैयार कर रखी है। फिलहाल नंद कुमार साय ने तपकरा, कुनकुरी, लैलूंगा जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाके में अपने लोगों को सक्रिय कर दिया है और वह स्वयं लोगों से मिल रहे हैं। उनके नजदीकी उनके चुनाव लैलूंगा से लड़ने की बात कर रहे हैं क्योंकि उनका विधानसभा तपकरा अब विलोपित हो चुका है उसके ज्यादातर हिस्से कुनकुरी में हैं जहां से उत्तमदान मिंज (यूडी मिंज) कांग्रेस से विधायक हैं और उन्हें संसदीय सचिव का दर्जा प्राप्त है। यूडी सीएम के खास हैं। अब लैलूंगा-धरमजयगढ़ विधानसभा ही नंद कुमार साय के लिए बचता है। धरमजयगढ़ में राठिया फैक्टर जरूरी है। लैलूंगा में चक्रधर सिदार उतने असरदार साबित नहीं हुए जितनी पार्टी ने उनसे उम्मीद जताई थी। अगर दोनों में से एक कि टिकट काटी जा सकती है तो लैलूंगा से किसी को अचरज नहीं होगा। अब नंद कुमार साय को प्रोजेक्ट करना है तो किसी न किसी की टिकट तो कट सकती है।

