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महिलाओं ने संतान की लंबी उम्र एवं उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा व्रत
छत्तीसगढ़, रायगढ़ धरमजयगढ़ छाल

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महिलाओं ने संतान की लंबी उम्र एवं
उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा व्रत
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धरमजयगढ़ छाल : हल षष्ठी का व्रत भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलरामजी को यह व्रत समर्पित होता है और यह भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को रखा जाता है, परंतु इस बार षष्ठी तिथि के क्षय होने से 24 अगस्त को यह व्रत किया गया l
मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान दीर्घायु और सुखी संपन्न होती है और उनके जीवन में खुशहाली बढ़ती है।

इस व्रत को लेकर मान्यता है कि भादों मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलरामजी का जन्म हुआ था और इनके जन्म की खुशी में महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। इस व्रत को करने से बलरामजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं हल से जोती गई फसल की कोई चीज ग्रहण नहीं करती हैं और ना ही हल चलाकर जमीन में उगाई कोई चीज खाती हैं। दरअसल हल को बलरामजी का शस्त्र माना गया है, इसलिए हल से जोती गई चीजों का प्रयोग वर्जित माना जाता है। इस दिन तालाब में उगाई गई चीजें खाकर व्रत रखती हैं।
अंत में बच्चों के पीठ पर पोता

