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छाल माइंस में बिना रिकॉर्ड मजदूरों की भरमार….RKS को आर्थिक लाभ पहुंचाने को…..प्रबंधन की मिलीभगत तो नही…???….तो फिर मौन क्यों…..??

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छाल माइंस में बिना रिकॉर्ड मजदूरों की भरमार….RKS को आर्थिक लाभ पहुंचाने को…..प्रबंधन की मिलीभगत तो नही…???….तो फिर मौन क्यों…..??

रामकृपाल सिंह प्रा. लि. (RKS)कर रहा श्रम शोषण…..बिना रिकार्ड के माइंस में कर रहे वर्कर काम जिम्मेदार कौन….??

 

जय जोहार इंडिया TV न्यूज jaijoharindiatv.com :– छाल एसईसीएल कोयला खदान में कार्यरत ओवर-बर्डन (ओबी) का ठेका कंपनी रामकृपाल सिंह (आर.के. एस.) द्वारा कार्यरत कैंपर ड्राईवर, सुपरवाईजर, हेल्परों का शोषण करना अब भी बरकरार है, जिसके वजह से वर्करों को एचपीसी दर से कंपनी भुगतान नही कर रहा कंपनी, एसईसीएल कोयला खदान में आर.के.एस. कंपनी को 5 साल का मिट्टी खोद कर हटाने का काम मिला है परंतु ठेका कंपनी कार्य के सभी नियमो को दरकिनार कर अपना ही फायदा करने में लगा हुआ है आर.के.एस कंपनी द्वारा अपने वर्करों का लगातार श्रम शोषण कर कंपनी अपना आर्थिक लाभ उठा रहा।

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार नाम नही लिखने के शर्त पर बताया कि रामकृपाल कंपनी में एमटीके हाजरी नही लगता जिससे की एसईसीएल को रिकार्ड में कम मेंनपावर (वर्कर) दिखाकर जायदा वर्करों से काम लिया जाता है जो की उनकी रिकार्ड में नही है जिससे की कभी भी अनहोनी होती है माइंस में जिसकी जानकारी भर पता भी नही चलेगा माइंस अंदर ही उसे दबा दिया जाएगा क्या….??, वर्करों से 8 घंटे के जगह 12 घंटे काम लिया जाता है पर पेमेंट 8 घंटे का ही श्रम भुगतान दिया जाता है वही आरकेएस RKS कंपनी एसईसीएल से एचपीसी दर से भुगतान लेकर और उसी पैसे से जो बिना रिकार्ड के वर्कर काम कर रहे है उन वर्करों का भुगतान किया जाता है जिसका रिकार्ड एसईसीएल प्रबंधन को नहीं दिया जाता बस रामकृपाल सिंह प्रा. लि. कंपनी के पास कागजों में ही रहता है।

रामकृपाल सिंह प्रा. लि. अपना निजी स्वार्थ के लिए श्रमिको का शोषण कर रहा है माइंस में एक दिन में 400 से 500 वर्कर काम कर रहे आरकेएस कंपनी में पर कंपनी द्वारा सिर्फ एसईसीएल प्रबंधन को 200 से 250 वर्करों की जानकारी प्रदान करता है ऐसे स्थिति में अगर छाल खदान के अंदर कोई भी अनहोनी होती है तो उन्हें ही बीमा का लाभ प्राप्त नही होगा सिर्फ जिस वर्करों का जानकारी एसईसीएल प्रबंधन को है उन्हे ही इसका लाभ मिलेगा, आरकेएस कंपनी द्वारा जो अवैध तरीके से वर्करों को काम कराया जा रहा है उन्हे कोई भी बीमा का सुविधा प्राप्त नही होगा।

क्या एसईसीएल प्रबंधन द्वारा माइंस में वर्करों का आईडी कार्ड जांच नही करता कितने वर्करों का हाजरी लग रहा है और माइंस में कितने वर्कर काम कर रहे है इतनी बड़ी भूल क्यों कर रहा प्रबंधन कभी अनहोनी की स्थिति पर आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा…?

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