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आखिर किसके संरक्षण में चल रहा रेत का अवैध परिवहन, राजस्व में लाखों की छति

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आखिर किसके संरक्षण में चल रहा रेत का अवैध परिवहन, राजस्व में लाखों की छति

जितेन्द्र पांडेय जी की लेख 
1. अवैध रेत परिवहनकर्ताओं के हौसले बुलंद ।
2. विभाग से सांठगांठ होने की आशंका
3. बिना बीमा और बिना नम्बर प्लेट लगी गाड़ियों से हो रहा अवैध परिवहन ।
4. खनिज विभाग की उदासीनता के चलते हो रही राजस्व की क्षति ।
5. ओवर लोड गाड़ियों के चलते कभी भी घट सकती है बड़ी दुर्घटना ।
6. आखिर जिले के अधिकारियों के मौन रहने के पीछे का क्या है कारण?
सरसींवा । क्षेत्र में लंबे समय से जीवनदायिनी महानदी तट से रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। रेत माफियाओं के आतंक से क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है। रेत माफिया अवैध कालाबाजारी करने के लिए बिना सील लगी पर्चियों का उपयोग कर रहे हैं। इन पर्चियों पर कहीं भी ठेकेदार या कंपनी का नाम नहीं लिखा है। न ही संबंधित एजेंसी या खनिज विभाग की सील है। इस कालाबाजारी में दिनरात रेत की ढुलाई कर लाखों रुपए की रायल्टी बचा कर शासन को चूना लगाया जा रहा है। इसमें ठेकेदार, अधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलकर इस अवैध कारोबार में संलिप्त है । जिम्मेदार अधिकारी पूरे मामले से अनजान बनने का नाटक करते है और कार्यवाही के नामपर केवल दिखावा किया जा रहा है । जबकि नाम न बताने की शर्त पर कुछ वाहन मालिकों ने बताया कि उनके द्वारा बकायदा खनिज विभाग के अधिकारियों को मोटा नजराना हर महीने भेंट किया जाता है जिसके बदले में वे उन्हें संरक्षण देते है और यदि उनके वाहन पकड़े भी जाये तो खाना पूर्ति कर छोड़ दिया जाता है ।

ओवर लोडिंग से क्षतिग्रस्त हो रहीं ग्रामीण सड़कें
महानदी तट मिरौनी से रेत से भरे ओवरलोड डंपरों और ट्रालियों के ग्रामीण सड़कों से गुजरने के चलते ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। आलम यह है कि लंबे समय से क्षेत्र के जैतपुर मिरौनी तटों से रेत का अवैध परिवहन और ओवरलोडिंग का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकतर सड़कें रेत के ओवरलोडिंग के चलते लगभग-लगभग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जिन पर बारिश के समय आवागमन के लिए ग्रामीणों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़रहा है।
गौरतलब है कि अभी कुछ दिनों पूर्व ही सरसींवा निवासी संतोष साहू ने वाट्सएप के माध्यम से अवैध रेत परिवहन के खिलाफ संबंधित विभाग को शिकायत की पर विभाग के कान तक जूं नही रेंग पाया और विभाग द्वारा मौन साधे आज पर्यंत किसी प्रकार की संतोषजनक कार्यवाही नही की गई । संतोष साहू ने बताया कि उनके द्वारा दिनांक 27.06.24 को वे अपने निजी काम से बस स्टैंड जा रहे थे जहां उस समय जोरों की बारिश हो रही थी ।
उनके पीछे में एक कार भी आ रही थी तभी बस स्टेंड परिसर में चार टैक्टर इस तरह से खाडे थे की उनको आगे जाते बना ना पीछे जाते बना और वे पूरी तरह से भीग चुके थे जहां उनके द्वारा ट्रैक्टरों को साइड में खड़े करने हेतु आवाज लगाया गया पर टैक्टर चालको ने वाहन नही हटाया और वही खड़े मजे से तमाशा देख रहे थे । फिर उनके द्वारा अपने मोटर सायकल से उतरकर उनकी फोटो खींच रहे थे तो सभी ट्रैक्टर चालक तुरंत आ गए और अपना-अपना ट्रैक्टर चालू करने लगे और वहा से भागने लगे जिससे श्री साहू ने उनका कुछ दूर तक पीछा भी किया जहां वे सभी टैक्टर सराईपाली रोड की ओर मुड़कर तेजी से भाग गए ।

 

सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है की चारो ट्रैक्टरो में से सिर्फ एक ही ट्रैक्टर मे नंबर था बाकी तो बिना नंबर के ही वाहनों से रेत का अवैध परिवहन कर रहे थे। जिनका संतोष साहू द्वारा फोटो भी खींचा गया है जिसमे चारो में एक गाड़ी जिसमे नम्बर था CG 22T9718 था । जिसका संतोष साहू द्वारा परिवहन ऐप से मालिक की जानकारी सर्च की गई तो वाहन के मालिक संतोष साहू हरदी के नाम का पता चला वही उक्त वाहन का न तो बीमा है और न ही पी यू सी था ।
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जिसकी शिकायत उनके द्वारा तत्काल की गई पर माइनिंग विभाग द्वारा आज पर्यंत उक्त वाहनों और रेत के अवैध परिवहन पर अंकुश लगाने किसी प्रकार की कार्यवाही नही की गई । बिना किसी डर के धड़ल्ले से चल रहे इस रेत परिवहन से अब सीधे सीधे बड़ी सांठ गांठ होने की आशंका है । जहां श्री साहू ने बताया कि उनके द्वारा जिला माइनिंग अधिकारी से फोन से सम्पर्क किया गया तो उनके द्वारा फोन रिसीव नही किया गया । जहाँ क्षेत्र के लोगो का कहना है कि माइनिंग विभाग का कोई भी अधिकारी कभी भी सही समय पर फोन रिसीव नही करता है जो कि विभाग की लापरवाही भी दर्शाती है ।
वही सरसींवा निवासी संतोष साहू का कहना है कि यदि विभाग द्वारा शीघ्र अति शीघ्र इस अवैध परिवहन और इस काले कारोबार में संलिप्त वाहनों के खिलाफ किसी प्रकार की कोई ठोस कार्यवाही नही की जाती तो उनके द्वारा समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी माइनिंग विभाग एवं शासन प्रशासन की होगी।
उक्त मामले की जानकारी लेने के लिए जिला माइनिंग अधिकारी से दूरभाष से सम्पर्क किया गया तो उनके द्वारा फोन रिसीव नही किया गया ।।

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