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शिक्षा के पुजारी बन बैठे है सूदखोर ,चला रहे ब्याज का गोरखधंधा , जांच हो जाए तो आय से अधिक सम्पत्ति का भी हो सकता है खुलासा !!

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शिक्षा के पुजारी बन बैठे है सूदखोर ,चला रहे ब्याज का गोरखधंधा , जांच हो जाए तो आय से अधिक सम्पत्ति का भी हो सकता है खुलासा !!

जितेन्द्र पांडे की लेख

1. 15-20% ब्याज का चल रहा खेल ।

2. इनके निशाने पर बेबस और मजबूर किसान व मजदूर वर्ग ।

3. इन शिक्षकों के हौसले बुलंद, नही है कानून का डर ।

4. चक्रवृद्धि लगाकर मनमानी पूर्ण वसूल रहे ब्याज ।

5. आखिर किसके संरक्षण में चल रहा ब्याज का गोरखधंधा ।

6. जांच की जाए तो आय से अधिक सम्पत्ति का भी हो सकता है खुलासा 

7. क्या होगा देश का जब शिक्षक ही भक्षक बन जाये ।

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सरसींवा । कर्ज लेना और देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब यह सूदखोरी का जरिया बन जाता है तो इसका परिणाम दर्दनाक ही होता है। सूदखोर किसी को समस्या से निकालने के लिए नहीं, बल्कि अपने धन को दोगुना-तीन गुना करने के लिए कर्ज का धंधा चलाते हैं। लाभ कमाना उनका मकसद होता है इसलिए उनमें संवेदना का स्तर लगभग शून्य रहता है। यह हैरान करने वाली बात है कि अनेक कानूनी प्रवधान होने के बाद भी सूदखोरों का जाल पूरे देश में फैला है। पर किसी शासकीय कर्मचारी वो भी किसी शिक्षा के पुजारी द्वारा खुलेआम बिना किसी डर भय के सूदखोरी का धंधा चलाना गले मे अटकने वाली बात है ।

   गौरतलब है कि मनमाने ब्याज की वजह से आज तक केवल रसूखदार सेठ ही बदनाम रहे है । परन्तु इनदिनों सारंगढ बिलाईगढ़ जिले के सरसींवा में नगर में एक ऐसा शासकीय शिक्षक का बोल बाला चल रहा जिसने करोड़ो रूपये ब्याज बांटे है । इन दिनों इस शिक्षक की दबंगाई सर चढ़ कर बोल रही है । क्षेत्र में यह ब्याज वाला गुरुजी के नाम से इन दिनों ट्रेंड में चल रहा है । इस शासकीय कर्मचारी के तेवर देख कर बड़े बड़े सुरमा हैरान है । सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार यह गुरुजी ब्याज के लिए गरीब व मध्यमवर्गीय तबके खासकर अनपढ़ लोगों को अपना निशाना बनाता है और 15 से 20 प्रतिशत ब्याज लगाकर लोगो की जमीनों की बिक्री नामा बनवाकर उन्हें डरा धमकाकर ब्याज वसूलता है । यह गुरुजी सूदखोरी के गोरख धंधे का जाल पूरे क्षेत्र में फैला चुका है और एजेंट भी रखा हुआ है । यह लोगों को ब्याज में मोटी रकम देता है जहां इसके चंगुल में फंसे लोगों से बाद में चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर लोगों को उनकी जमीनों को रजिस्ट्री कराने तक के लिए मजबूर करता है ।

    उल्लेखनीय है आज भी स्कूलों को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है । जहाँ शिक्षकों को समाज मे बड़ा आदर सम्मान मिलता है । पर सोचने वाली बात तो यह है कि जो शिक्षक बच्चों को सामाजिक बुराइयों और सदाचार एवं अच्छे आचरण का पाठ पढ़ाते है वे शिक्षक ही अगर सुदखोरी के गोरखधंधे में संलिप्त रहे तो ये बच्चो को क्या शिक्षा दे पाएंगे । धन लोलुप में डूबे ऐसे शिक्षकों के संरक्षण के कारण ही आज शासकीय स्कूलो में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है । बच्चों को सदाचार का उपदेश देने वाले शिक्षक आज विभिन्न प्रकार के अवैध कार्यो में संलिप्त है जिसपर शासन प्रशासन को ध्यान देने और ऐसे अवैध कार्य मे संलिप्त शासकीय लोगों की जांच कर इन्हें बर्खास्त करते हुए कठोर कार्यवाही करने की आवश्यकता है । बच्चे देश का भविष्य है और ऐसे शिक्षको के चलते आज उनका भविष्य खतरे की ओर है । यदि ऐसे लोगों और इनके अवैध कार्यों पर अंकुश न लगाया गया तो ये आने वाली पीढ़ी को गलत राहों की ओर मोड़ देंगे । जहाँ लोगों से मिली जानकारी अनुसार इस गुरुजी ने क्षेत्र के मजबूर किसान, युवा और अनपढ़ लोगों को 20 प्रतिशत ब्याज पर करोड़ो रूपये बांटे है जिसमे से कइयों की जमीन भी हड़प कर ली है । बिना किसी साहूकारिता लायसेंस के ऐसे शासकीय कर्मचारी द्वारा खुले आम दबंगाई पूर्वक ब्याज का गोरखधंधा चलाना और इस पर आज पर्यन्त किसी प्रकार की जांच व कार्यवाही का न होना किसी बड़े सांठगांठ और हवाला से जुड़े मामले की ओर संकेत करता है । लोग जानने पर विवश है कि आखिर यह किसके संरक्षण में खुले आम ऐसे मनमाने ब्याज का धंधा चला रहा है । यदि इस सरसींवा निवासी शिक्षक की जांच की जाए तो आय से अधिक सम्पति का भी खुलासा हो सकता है ।
   ज्ञातव्य हो कि जिले के सरसींवा क्षेत्र में इस शासकीय शिक्षक का सूदखोरी का कारोबार बेरोक टोक चल रहा है । इसकी गिरफ्त में आकर कई युवा एवं किसान अपनी जिंदगी को दाव पर लगा रहे है। ये सूदखोर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर 15 से 20 फीसदी ब्याज पर रुपए देता है ,और फिर समय पर भुगतान न करने पर ब्याज लेने वाले की जमीन, जायदाद कब्जे में लेकर प्रताड़ित करता है । जहाँ लोग डर और भय के कारण इन सूदखोरों की शिकायत नही कर पाते जिससे इस तथाकथित गुरुजी जैसे लोगों पर कार्यवाही नही हो पाती और ये ब्याज का गोरखधंधा चलाकर अपनी जेबें भरते रहते है । लोगो को ऐसे सूदखोरों से बचने बिना किसी डर भय के कानून की शरण लेनी चाहिए ताकि इनपर उचित दंडात्मक कर्यवाही हो सके । नही तो ये सूदखोर क्षेत्र को खोखला कर देंगे ।।

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