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गुरु कहते है की जन्मों-जन्मों के कमो॔ के इस पहाड़ को केवल गुरु की ज्ञान-रुपी शब्द-रुपी छेनी से ही काटा जा सकता है
जय जोहार इंडिया TV न्यूज नेटवर्क

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गुरु कहते है की जन्मों-जन्मों के कमो॔ के इस पहाड़ को केवल गुरु की ज्ञान-रुपी शब्द-रुपी छेनी से ही काटा जा सकता है
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कर्मो के पहाड़ को गुरु ही काट सकते हैं , यह संसार कर्म-भूमि है, जीव अनन्त काल से अनेक जीवन धारण करके कर्म करते चलते जा रहा है इस प्रकार हमने जन्मों-जन्मों में आकर अपने ऊपर कमो॔ का पहाड़ खड़ा कर लिया है हम यहाँ भला या बुरा जो कुछ भोगते हैं वह हमारे अपने किये हुए कमो॔ का ही फल होता है।
सब से बड़ा संकट यह है की हम कर्म अधिक करते है पर कमो॔ का भुगतान कम करते है इसलिए बाकी कमो॔ का फल भोगने के लिए हमे बार-बार जन्म लेना पड़ता है यदि हम अपने बल-बूते से कमो॔ के पहाड़ को टालना चाहे तो यह तनिक भी हिलते नही इसे तो कोई पुरा संत ही टाल सकता है
गुरु कहते है की जन्मों-जन्मों के कमो॔ के इस पहाड़ को केवल गुरु की ज्ञान-रुपी शब्द-रुपी छेनी से ही काटा जा सकता है केवल शब्द के सच्चे अभ्यास से ही कमो॔ के बोझ को हलका किया जा सकता है…!!!

