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जैविक खेती से किसानों को जोड़ने का प्रयास नाबार्ड,

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जैविक खेती से किसानों को जोड़ने का प्रयास नाबार्ड,

संतोष बीसी की लेख
जय जोहार इंडिया TV न्यूज जिला रायगढ़ विकास खण्ड खरसिया के जल ग्रहण परियोजना क्षेत्र में किसानों के प्रशिक्षण का हुआ आयोजन दिनांक 6/12/24जल ग्रहण परियोजना के अंतर्गत कुकरी चोली में किसानों को जैविक खेती से जोड़ने और अधिक लाभ मिले तथा कम खर्च में गांव पर ही उच्च गुणवत्ता वहीं जैविक रासायन का निर्माण किया जा सके जन मित्रम के सहयोग से मिला जीवमृत एवम बीजामृत बनाने की शिक्षा। जल ग्रहण परियोजना ग्राम कुकरी चोली की किसानो को स्वयं सेवी संस्था के द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित कृषि विभाग से श्री लीलाम्बर प्रसाद सिदार वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी (S .A .D .O.) एवम डोमेश चौधरी (ग्रां. कृ . वि. अधिकारी) मास्टर ट्रेनर के रूप मे रहे। सिदार जी के माध्यम से उपस्थिति ग्रामीण किसानो को जीवामृत बनाने की विधि को बताया ताकि की कम लागत मे घर पर ही तैयार कराने को कहा ।
सर्वप्रथम किसानो को जीवामृत में लगने वाले सामानों की सूची को समझाया। 1नग प्लास्टिक का ड्रम -200-250लीटर पानी, गोबर (देशी गाय) – 10 किलो ग्राम, गोमूत्र – 5-10 लीटर , गुड़ -1-2 किलोग्राम, बेशन -1-2 किलोग्राम, सजीव मिट्टी (भूडू का मिट्टी) – 500 ग्राम और पानी -200 लीटर । इन सामग्री को एक साथ मिश्रण करने को कहा गया और मिश्रण सामग्री को छायादार जगह मे 48 घंटे तक रखने की जानकारी एवं दिन मे दो बार सूखे लकड़ी से सुबह शाम को हिलाने की बात बताई गई। तैयार जीवामृत को एक एकड़ फसल मे 200 लीटर स्प्रे मशीन के द्वारा 15से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करने को कहा गया। 5 से 6 बार फसलों मे छिड़काव करने से उत्पादन मे वृद्धि होने की जानकारी किसानो को दिया गया। जीवामृत का छिड़काव से फसलों मे बीमारी ना लगने की बात किया गया।प्रशिक्षण मे ग्रामीण किसानो को बीजामृत के माध्यम से गांव मे ही बीज उपचार करने के संबंध मे बताया गया। बीज उपचार से होने वाले फायदे को कृषि विस्तार अधिकारी चौधरी जी ने बताया । सर्वप्रथम बीजामृत बनाने मे लगने वाले सामग्री के बारे मे जानकारी दिया गया। जैसे (1), पानी ड्रम 1नग -20 लीटर ।( 2) , गोबर (देशी गाय)/बैल – 10 किलोग्राम। ( 3), चुना -50 ग्राम। (4) , मिट्टी -250 ग्राम।( 5), गौमूत्र – 5 लीटर। ये समस्त सामग्री का मिश्रण करे। इसके बाद बीज को हाथ से अच्छे से मिला दे और बीज को उपचार के 7 दिवस मे उपयोग करने की बात बताया गया। चौधरी जी ने सभी किसानो को बीजामृत से होने वाले फायदे को बताते हुए कहा कि बीज सही मात्रा मे अंकुरित होना, जल्दी अंकुरित होना, फसल मे रोग नही लगनाऔर बीज मे उपस्थित कीड़े को खत्म करना। वरिष्ठ अधिकारी श्री सिदार जी के द्वारा कृषि विभाग से मिलने वाली योजना के संबंध मे विस्तार पूर्वक किसानो को जानकारी प्रदान किया गया । प्रशिक्षण के दौरान के जल ग्रहण समति अध्यक्ष, समिति सदस्य, ग्राम के ग्रामीण किसान और जल ग्रहण परियोजना अधिकारी जीवन लाल भगत जी की अहम् भूमिका रही।।

 

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